सफर के समय जी मिचलाने तथा उल्टी आने पर 5 प्राकृतिक चिकित्सा GYANPOINTWEB
कुछ ऐसे व्यक्ति होते हैं जिनको सफर करते समय में उल्टियां होने लगती है तथा जी मिचलाने लगता है। अक्सर ऐसा होता है कि वे लोग वैसे तो ठीक रहते हैं पर जैसे ही कहीं जाने के लिये बस या रेल आदि में बैठते हैं तो उनका जी मिचलाने (उबकाई) लगता है और उन्हें उल्टी आने लगती है।
सफर के समय जी मिचलाने तथा उल्टी आने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
· जैसे ही सफर (travel) करने के time में व्यक्ति का जी मिचलाने लगे तथा उल्टियां होने लगे उसी समय व्यक्ति को अपने मुंह में लौंग रखकर चूसनी चाहिए। इससे जी मिचलाना और उल्टियां होना भी बंद हो जाती हैं।
· सफर पर जाने से आधे घंटे (30 minute) पहले ही 1 चम्मच प्याज के रस और1 चम्मच अदरक के रस को मिलाकर पी लें। इससे सफर में जी नहीं मिचलाएगा (उबकाई नहीं आयेगी)। अगर सफर ज्यादा लम्बा हो तो यह रस बनाकर अपने साथ ही रख लें। इस रस को दुबारा 4 से 6 घंटे के बाद पी सकते हैं। इस रस को पीने से जी नहीं मिचलाता तथा उल्टी भी नहीं होती।
· सफर पर निकलने से पहले लगभग 240 मिलीग्राम से 1 ग्राम जयपत्री को अगर सुबह और शाम खा लिया जाए तो सफर बहुत अच्छा बीतता है। पर इसकी मात्रा उम्र के मुताबिक देनी चाहिए नहीं तो चक्कर आ सकते हैं।
· धनिये के थोड़े से दाने मुंह में रखकर चबाते रहने से मिचली (उबकाई) नहीं आती।
· दालचीनी का तेल 1 से 3 बूंद बतासे पर डालकर मुंह में रखने से उबकाई नहीं आती है।
जानकारी-
इस प्रकार की चीजों को सफर के दौरान अपने पास रखना चाहिए ताकि यदि इन चीजों की आवश्यकता पड़ने पर तुरंत ही उपचार किया जा सके।
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